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श्रावण मास की तीसरी सवारी में महाकाल ने तीन स्वरूपों में किया नगर भ्रमण, जनजातीय लोकनृत्य और भजन मंडलियों ने भरा रंग; 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं किए दर्शन!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन में सावन के तीसरे सोमवार के अवसर पर भगवान श्री महाकालेश्वर की भव्य सवारी पूरे श्रद्धा, उल्लास और पारंपरिक गरिमा के साथ निकाली गई। यह सवारी सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता की मिसाल भी बनी। महाकाल तीन अलग-अलग स्वरूपों में नगर भ्रमण पर निकले — पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश और गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव के रूप में विराजित होकर महाकाल ने नगरवासियों का हाल जाना।
सवारी से पहले महाकाल मंदिर के सभामंडप में शासकीय पूजन की विधि संपन्न की गई, जिसमें शास्त्रोक्त षोडशोपचार पूजन पं. घनश्याम शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश शासन के खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला, पशुपालन मंत्री लखन पटेल सहित कई जनप्रतिनिधि, अधिकारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। रामघाट पर भगवान महाकाल का क्षिप्रा जल से अभिषेक और पूजन भी संपन्न हुआ।
सवारी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार से निकली, सशस्त्र बलों ने भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद पारंपरिक मार्ग से होते हुए सवारी रामघाट पहुंची। इस दौरान अनुमानित 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मार्ग के दोनों ओर खड़े होकर भगवान के दर्शन लाभ लिए। श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुचारु रहीं। रामघाट पर पूजन के बाद सवारी रामानुजकोट, कार्तिक चौक, गोपाल मंदिर होते हुए वापस श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची, जहां आरती के साथ सवारी का समापन हुआ।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप इस बार की सवारी को थीम आधारित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने का विशेष प्रयास किया गया। इसी कड़ी में चार जनजातीय लोकनृत्य समूहों ने सवारी मार्ग पर रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। प्रतापसिंह डिंडोरी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश का करमा-सैला नृत्य, कर्नाटक की पुष्पलता व साथियों द्वारा डोल्लू कुनिथा, जबलपुर के सचिन चौधरी द्वारा अहिराई नृत्य और संजय महाजन द्वारा गणगौर लोकनृत्य ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
खास बात यह रही कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने रामघाट पर सपत्निक पूजन के साथ-साथ जनजातीय नृत्य में भी भाग लिया और झांझ-मंजीरे बजाकर भक्ति में सहभागिता निभाई। वहीं, मंत्री लखन पटेल ने डमरू बजाते हुए सवारी का स्वागत किया।
इस सवारी में बीएसएफ, पुलिस बैंड, स्काउट गाइड, सरस्वती शिशु मंदिर खाचरौद व बड़नगर सहित कई स्कूलों और बैंड पार्टियों ने अपनी प्रस्तुतियों से माहौल को संगीतमय बना दिया।
अब अगली सवारी 4 अगस्त को निकाली जाएगी, जिसमें महाकाल बैलगाड़ी पर नंदी स्वरूप में माता पार्वती के साथ उमा-महेश के रूप में दर्शन देंगे। इस सवारी को भी भव्य और ऐतिहासिक स्वरूप देने की तैयारियाँ जोरों पर हैं।
महाकाल की तीसरी सवारी ने जहां आस्था की गहराई को छुआ, वहीं सामाजिक-सांस्कृतिक एकता का जीवंत उदाहरण भी पेश किया। शहरवासियों और बाहर से आए श्रद्धालुओं ने इसे जीवन का अद्भुत अनुभव बताया।